बुधवार, 6 मई 2020

उपलब्धियों का मूल्यांकन कठिन विषम समय में ही होता है ....

एक धूपबत्ती बहुत धुंआ कर रही थी तो उसका उपहास उड़ाते हुये उसकी साथी मोमबत्ती ने कहा - मुझ से तुम शिक्षा क्यों ग्रहण नहीं करती हो । आगे फिर मोमबत्ती ने कहा - देखो मेरा प्रकाश चारों ओर फ़ैल रहा है और सभी मेरी ओर मेरे प्रकाश को देखते रहते हैं और एक तुम हो कि हमेशा धुंआ फैलाने में लगी रहती हो ।

धूपबत्ती ने कहा - यह सब ठीक है परन्तु जीवन में जब परीक्षा का समय आएं तब धैर्य के साथ तुम क्या अडिग रह सकोगी तो ही तुम्हारी इस चमक की सार्थकता सिद्ध होगी ।  धूपबत्ती की बात को मोमबत्ती ने अनसुनी कर दी और उसकी बात को मजाक समझकर हवा में उड़ा दी ।

कुछ समय बाद एक तेज हवा का झोंका आया और मोमबत्ती बुझ गई परन्तु हवा के तेज प्रवाह से धूपबत्ती ने तीव्रता के साथ चारों और सुगंध फैलाना शुरू कर दिया वहां उपस्थित लोगबाग धूपबत्ती की सुगंध से  प्रसन्न हो गये । तब जाकर मोमबत्ती को यह अहसास हो गया कि क्षणिक उपलब्धता पर अहंकार करना मूर्खता के सिवा कुछ नहीं है ।  उपलब्धियों का मूल्यांकन कठिन विषम समय में ही होता है ।  

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